ओंकारेश्वर-
आइए हम मध्यप्रदेश पर्यटन के अंतर्गत एक और दर्शनीय स्थल ओंकारेश्वर के बारे में जानेंगे ओंकारेश्वर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है इस जगह की बस्तियां भील जनजाति के लोगों के द्वारा बसाई गई थीं यह स्थान मध्यप्रदेश के खण्डवा जिले में है जो नर्मदा नदी के बीच मान्धाता या शिवपुरी द्वीप पर स्थित है
कब और कैसे जाएं – ओंकारेश्वर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से से लेकर फरवरी का होता है क्योंकि यहां अधिक गर्मी होती है और अक्टूबर से फरवरी के बीच ना तो ज्यादा गर्मी होती है और ना ही ठण्डी
ओंकारेश्वर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ओंकारेश्वर रोड रेल्वे स्टेशन है जो 12 किलोमीटर की दूरी पर है
ओंकारेश्वर इंदौर से लगभग 77 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह नर्मदा और कावेरी नदी के संगम पर है जो भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है
उज्जैन से ओंकारेश्वर की दूरी – उज्जैन से ओंकारेश्वर जाने में 3 से 4 घंटे का समय लगता है यहां से कई बस औऱ ट्रेन हैं जो ओंकारेश्वर तक जाती
ओंकारेश्वर का महत्व – ओंकारेश्वर भगवानों शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है इसका बहुत ही बड़ा धार्मिक महत्व है ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान शिव और पार्वती रात्रि के समय विश्राम करते हैं और चौसर खेलते हैं
यह नर्मदा नदी पर ओम के आकार मे स्थित है यहां स्थापित शिवलिंग प्राकृतिक है, जिसे किसीने नहीं तराशा है सावन के महीने में यहां बहुत भीड़ होती है
माना जाता है कि राजा मान्धाता ने यहां पर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था तभी से भगवानों शिव मान्धाता के कहने पर यहां शिवलिंग के रुप मे विराजमान हुए थे

ओंकारेश्वर में खाने पीने और रुकने की जगह – ओंकारेश्वर में कई आश्रम और धर्मशालाएं हैं जहां आप रुक सकते हैं
यहां पर कई प्रसाद आलय हैं जहां पर कम दामों में आप शाकाहारी भोजन कर सकते हैं जो कि कुछ इस प्रकार से हैं
- भक्त निवास आश्रमdd
- श्री ओंकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट का प्रसाद आलय
*एमपी टूरिज्म प्रसाद आलय
*मुख्य बाज़ार और पुराने पुल के पास की दुकानें
*गजानन आश्रम का भोजनालय
यहां के बाजारों में गुजराती थाली और दाल बाटी जैसे पारंपरिक भोजन मिलता है