नमस्कार दोस्तों,
रंगों का त्यौहार होली तो पूरे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है| इस वर्ष होली का त्यौहार 13 -14 मार्च को है | किन्तु सबसे ख़ास होली का उत्सव मथुरा वृंदावन में होता है हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यह बहुत ही धूमधाम से मनाया जाएगा|
मथुरा-वृंदावन में बसंत पंचमी (3 फरवरी) के दिन डंडा गाड़ा जाएगा इसी दिन से यहां रंगोत्सव की शुरुआत हो जायेगी| यह 40 दिवसीय होली का उत्सव है इसकी शुरुआत
राधारानी के चरणों में बसंत पंचमी के दिन गुलाल अर्पित करके होगी |
और, बांके बिहारी जी को फेंटआ बाँध कर भक्तों के साथ होली खेलने की तैयारी शुरुआत की जाएगी|
वृंदावन में होली 2025 की तिथियां-
1- 3 फरवरी बसंत पंचमी- बसंत पंचमी के दिन डंडा गाड़ने के बाद होली का रंगोत्सव प्रारंभ हो जाएगा जो 40 दिन तक चलेगा इस दौरान लड्डू मार होली, लट्ठ मार होली सहित 22 भव्य कार्यक्रम होंगे|
2- 28 फरवरी शिवरात्रि पर होली की प्रथम चौपाई लाडली जी मन्दिर से निकाली जाएगी |
3- 07 मार्च फाग आमंत्रण (साखियों को न्यौता) शाम को लाडली महल में. लड्डू होली
4 – 8 march को रंगीली गली में लट्ठ मार होली |
5 – 9 मार्च नंदगांव में लट्ठमार होली |
6 – 10 मार्च वृंदावन में रंग भरी होली
7- 10 मार्च को फूलों होली की बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
8- 10 मार्च को श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर हुरंगा |
9- 11 मार्च भारत विख्यात द्वारिकाधीश मंदिर में होली।
10- 11 मार्च को गोकुल के रमणरेती में होली।
11- 12 मार्च वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर में होली।
12- 12 मार्च को शहर में चतुर्वेदी समाज का होली डोला।
13- 13 मार्च को फालैन समेत समूचे ब्रज में होलिका दहन।
14- 14 मार्च धुलहड़ी, रंगों की होली।
15- 15 मार्च बल्देव में दाऊजी का हुरंगा।
16- 16 मार्च नंदगांव का हुरंगा।
17-17 मार्च गांव जाब का परंपरागत हुरंगा।
18- 18 मार्च मुखराई का चरकुला नृत्य।
19-19 मार्च बठैन हुरंगा
20- 20 मार्च गिडोह का हुरंगा
21-21 मार्च रंग पंचमी, खायरा का हुरंगा।
22- 22 मार्च वृन्दावन रंगनाथजी की होली।
वृंदावन और मथुरा की होली खास क्यों है (बृज की होली) –
बृज एक ऐतिहासिक क्षेत्र है, जिसके अंतर्गत मथुरा, वृंदावन और इसके आसपास के कुछ इलाक़े शामिल हैं | वृंदावन की होली अपने अनोखे रीति -रिवाज और अपनी परंपराओं की वजह से प्रसिद्ध है यहां देश विदेश से तीर्थयात्री होली की रौनक देखने और उसमें शामिल होने आते हैं|
नटखट कान्हा ने एकबार अपनी मैया से शिकायत की ” मैया मैं काला और मेरी सखी राधा गोरी क्यूँ है ” तब मइया ने हंसकर खेल खेल में राधा को रंग लगाने की सलाह दी | तभी से कान्हा राधा को और गोपियों को रंग लगाने बरसाना ( राधा का गांव) जाते थे | वो, खेल-खेल में लाठियों से पीटती थीं तब से लट्ठमार होली की परंपरा की शुरुआत हुई |
बरसाना की होली– बरसाना राधा रानी का गांव है यहां होली, होली की तिथि से एक सप्ताह पहले चालू होती है यहां की लट्ठमार होली बहुत प्रसिद्ध है ऐसा माना जाता है श्री कृष्ण राधा को रंग लगाने बरसाना जाते थे |
नंदगांव की होली- जब कृष्ण राधा को रंग लगाने बरसाना गए थे उसके ही अगले दिन राधा भी कान्हा को रंग लगाने नंदगांव गई थीं इसलिए बरसाना की होली के अगले दिन ऐसी ही होली नंदगांव में भी मनाई जाती है|
नंदगांव वह स्थान है जहां कान्हा ने अपने बचपन के काफी दिन यहां बिताए थे इसलिए बरसाना के बाद होली नंदगांव में मनाई जाती है|
वृंदावन की होली –
वृंदावन की होली सिर्फ रंगों का त्यौहार नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और आनंद का अद्भुत संगम है। यह वह स्थान है जहाँ कान्हा (श्रीकृष्ण) ने अपनी रासलीलाओं से प्रेम और भक्ति की होली को अमर बना दिया।
वृंदावन में होली का महत्व-
वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है क्योंकि यह भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम की प्रतीक मानी जाती है। यहाँ की होली में केवल रंग ही नहीं, बल्कि भजन, कीर्तन और गुलाल की महक से वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
कैसे मनाई जाती है वृंदावन की होली?
बांके बिहारी मंदिर की होली – यहाँ की होली फाल्गुन माह में विशेष रूप से मनाई जाती है। मंदिर में भक्तों पर गुलाल और फूलों की वर्षा होती है।
फूलों की होली – राधारमण मंदिर और अन्य स्थानों पर फूलों से होली खेली जाती है, जिसमें भक्तों पर पुष्प वर्षा की जाती है।
रंगों की होली – धूलिवंदन के दिन पूरे वृंदावन में रंगों की धूम रहती है, जहाँ देश-विदेश से आए श्रद्धालु राधे-कृष्ण के प्रेम में रंग जाते हैं।
गोपियों और ग्वालों की होली – यह नंदगांव और बरसाना में भी विशेष रूप से मनाई जाती है, जहाँ लट्ठमार होली की परंपरा देखने को मिलती
होली में मथुरा-वृंदावन यात्रा गाइड-
मथुरा-वृंदावन कैसे पहुँचें?
- हवाई मार्ग (By Air)
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा आगरा (Kheria Airport, 70 किमी) है।
दूसरा विकल्प दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (160 किमी) है।
आगरा या दिल्ली से टैक्सी या ट्रेन लेकर मथुरा पहुंच सकते हैं। - रेल मार्ग (By Train)
मथुरा जंक्शन (Mathura Junction – MTJ) प्रमुख रेलवे स्टेशन है।
दिल्ली, आगरा, जयपुर, लखनऊ, मुंबई, वाराणसी जैसी जगहों से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
स्टेशन से ऑटो, टैक्सी या ई-रिक्शा से वृंदावन (10-12 किमी) जाया जा सकता है। - सड़क मार्ग (By Road)
दिल्ली से मथुरा-वृंदावन लगभग 3-4 घंटे (160 किमी) की यात्रा है।
आगरा-मथुरा एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे के जरिए आसानी से पहुँचा जा सकता है।
मथुरा और वृंदावन में बसें, टैक्सी और ऑटो रिक्शा आसानी से उपलब्ध हैं।
मथुरा-वृंदावन में कहाँ रुकें?
- बजट होटल (₹500 – ₹2000 प्रति रात)
- MVT गेस्ट हाउस & रेस्टोरेंट (MVT Guesthouse & Restaurant) – वृंदावन
- गंगा गेस्ट हाउस (Ganga Guest House) – मथुरा
- श्रीहरि गेस्ट हाउस (Shrihari Guest House) – वृंदावन
- इस्कॉन भक्त निवास (ISKCON Guest House) – वृंदावन
- मध्यम बजट होटल (₹2000 – ₹5000 प्रति रात)
होटल ब्रजवासी रॉयल (Hotel Brijwasi Royal) – मथुरा
अंकुर रेसिडेंसी (Ankur Residency) – वृंदावन
निधिवन सरोवर पोर्टिको (Nidhivan Sarovar Portico) – वृंदावन
कृष्णा कंटिनेंटल (Krishna Continental) – वृंदावन - लक्ज़री होटल (₹5000+ प्रति रात)
द मदर’s लैप (The Mother’s Lap) – वृंदावन
क्लार्क्स इन (Clarks Inn Krishna Valley) – मथुरा
राधा आश्रम बुटीक होटल (Radha Ashram Boutique Hotel) – वृंदावन - धर्मशाला और आश्रम (₹200 – ₹1000 प्रति रात)
अगर आप सस्ते और धार्मिक वातावरण में रुकना चाहते हैं, तो ये आश्रम और धर्मशालाएँ अच्छे विकल्प हैं:
गुरु निवास आश्रम (Guru Niwas Ashram) – वृंदावन
रामकृष्ण मिशन आश्रम (Ramakrishna Mission Ashram) – मथुरा
इस्कॉन भक्त निवास (ISKCON Guest House) – वृंदावन
गोकुल धाम धर्मशाला (Gokul Dham Dharamshala) – वृंदावन
यात्रा के दौरान कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें जो इस प्रकार हैं-
- होटल और आश्रम पहले से बुक करें, क्योंकि होली के समय भीड़ बहुत ज्यादा होती है।
- आरामदायक और हल्के कपड़े पहनें, ताकि रंगों से परेशानी न हो।
- कैश साथ रखें, क्योंकि कई जगह डिजिटल पेमेंट की सुविधा नहीं होती।
- गाइडेड टूर या लोकल ऑटो वालों से सही जानकारी लें ताकि धोखा न हो।
- फोन और जरूरी सामान को वॉटरप्रूफ पाउच में रखें ताकि रंगों से खराब न हो।
क्या आपने कभी वृंदावन में होली का अनुभव किया है?
अगर नहीं, तो इस साल ज़रूर जाइए! यह एक दिव्य और अविस्मरणीय अनुभव होगा।
राधे-राधे!